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देवउठनी एकादशी 2025: भगवान विष्णु के जागरण का शुभ पर्व

देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
यह दिन अत्यंत पवित्र माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने के योगनिद्रा से जागते हैं।
यह दिन चातुर्मास का समापन और सभी शुभ कार्यों (जैसे विवाह, गृहप्रवेश, व्रत आदि) के आरंभ का प्रतीक है।

वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी का व्रत [संभावित तिथि: 2 नवंबर 2025, रविवार] को मनाया जाएगा।


🪔 देवउठनी एकादशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।
चार महीनों तक देवता, ऋषि और मनुष्य कोई शुभ कार्य नहीं करते।
जब कार्तिक शुक्ल एकादशी आती है, तब भगवान विष्णु पुनः जागृत होते हैं।
इसलिए इस दिन को देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है।


🌸 देवउठनी एकादशी पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें –

“मम सर्वपापक्षयपूर्वकं श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं देवप्रबोधिनीएकादशीव्रतं करिष्ये।”
(भावार्थ: मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता और पापों के नाश के लिए यह व्रत करता/करती हूँ।)

  1. घर या मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को शुद्ध स्नान कराएँ।

  2. पंचामृत, तुलसी पत्ते, दीपक, पुष्प, धूप, फल-मिठाई से पूजन करें।

  3. भगवान विष्णु को शालग्राम और तुलसी दल अर्पित करें — यह विशेष शुभ माना जाता है।

  4. संध्या के समय दीपदान करें — यह व्रत का अत्यंत पुण्य फल देता है।


🕉️ देवउठनी मंत्र एवं श्लोक

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द, उत्तिष्ठ गरुड़ध्वज।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त, त्रैलोक्यं मंगलं कुरु॥

भावार्थ:
हे गोविंद! हे कमलनयन! अब जाग्रत हों और तीनों लोकों में मंगल की स्थापना करें।


🌼 देवउठनी एकादशी व्रत कथा (संक्षिप्त)

एक बार भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले गए और चारों दिशाओं में अंधकार फैल गया।
देवता चिंतित हो गए कि अब कौन जगत का पालन करेगा?
चार महीने बाद जब भगवान विष्णु जागे, तो समस्त ब्रह्मांड में पुनः प्रकाश, जीवन और ऊर्जा का संचार हुआ।
तब से यह दिन “देवउठनी एकादशी” के रूप में मनाया जाता है — जो आध्यात्मिक जागरण और नए आरंभ का प्रतीक है।


💍 देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह भी संपन्न किया जाता है —
जिसमें शालिग्राम (भगवान विष्णु का स्वरूप) से तुलसी माता का विवाह किया जाता है।
यह प्रतीक है भक्ति, पवित्रता और पुनः शुभ कार्यों के आरंभ का।
कहा गया है कि जो व्यक्ति इस दिन तुलसी विवाह कराता है, उसे कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है।


✨ देवउठनी एकादशी का संदेश

देवउठनी एकादशी हमें यह सिखाती है कि जैसे भगवान विष्णु विश्राम के बाद पुनः जगत के कल्याण हेतु सक्रिय होते हैं,
वैसे ही हमें भी अपने जीवन में नई ऊर्जा, नए संकल्प और नए आरंभ का स्वागत करना चाहिए।
यह दिन है — भक्ति, जागृति और समर्पण का।


🙏 देवउठनी एकादशी का फल

एकादश्यां प्रदत्तं तु जलमन्नं धनं तथा।
अनन्तगुणितं भवति तस्मात् सर्वप्रयत्नतः॥

भावार्थ:
जो व्यक्ति इस दिन दान, पूजा या सेवा करता है, उसे उसका फल अनंत गुना होकर प्राप्त होता है।